संघ लोक सेवा आयोग में हिंदी

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10565209_814738748566198_3421764894250067380_nज्ञापन-संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में अंग्रेजी का अनिवार्य 10 वीं स्तर का प्रश्न पत्र संसदीय संकल्प के विरुद्ध है।
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मं
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हिन्दी/ज्ञापन/8015

 

25.8.14संघ लोक सेवा आयोग में हिंदी
श्रीमती रजनी राजदान जी
अध्यशा, संघ लोक सेवा आयोग
धोलपुर हाउस, नई दिल्ली
ज्ञापन-संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में अंग्रेजी का अनिवार्य 10 वीं स्तर का प्रश्न पत्र संसदीय संकल्प के विरुद्ध है।
मान्यवरा,
यह जानकर खुशी हुर्ह कि भाजपा की नवनीत सरकार द्वारा आपको संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति प्रदान की गयी।इससे भी ज्यादा खुशी इस बात की हुई कि आपके कुशल नेतृत्व में आयोग द्वारा ली गयी सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा पूरे देश में शान्ति पूर्वक निर्विरोध सम्पन हुई। कृपया अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच की समस्त कार्यकारिणी की शुभकामनायें स्वीकार करें।
महोदया, आपके द्वारा हाल ही में जारी आदेश जिसमें आपने सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा से अंग्रेजी के 22.5 अंकों के प्रश्नों को समाप्त करने और 2011 के असफल परीक्षार्थियों को 2015 की परीक्षा में फिर से शामिल होने का अवसर दिया,निश्चय ही काबिले तारीफ है। हमें खुशी है कि आपने हमारे द्वारा दिनांक 15 जुलाई,14 को संघ लोक सेवा आयोग पर प्रदर्शन और श्रीमती सोनिया गांधी व कपिल सिब्बल के पुतला दहन के बाद दिये ज्ञापन की मांगो के संवैधानिक पक्ष को ठीक प्रकार से समझकर उनको माना। इसके लिये हम आपको फिर से बधाई देते हुए कामना करते हैं कि आपके कुशल नेतृत्व में संघ लोक सेवा आयोग राजभाषा अधिनियमों,माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा राजभाषा हिन्दी के सम्बन्ध में पारित समस्त आदेशों, और 18 जनवरी 1968 के संसदीय संकल्प का अक्षरशःपालन करेगा।
महोदया, जैसा कि हमने अपने 15 जुलाई के संलग्न ज्ञापन में लिखा था कि ‘‘संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में अंग्रेजी का अनिवार्य 10 वीं स्तर का प्रश्न पत्र और अंग्रेजी का 22.5 अंक का प्रश्न पत्र संसदीय संकल्प के विरुद्ध है। अतःउक्त परीक्षाओं के पिछले 3 साल के परिणामों को निरस्त किया जाये।
महोदय, हम आपका ध्यान पुनः18 जनवरी,1968 के संसदीय संकल्प ही ओर दिलाना चाहते हैं।जिसकी प्रतिलिपि संलग्न है- जैसा कि उक्त संकल्प के अनुच्छेद 4.क से स्पष्ट है कि संघ सेवाओं व पदों की भरती के लिये हिन्दी अथवा अंग्रेजी में से किसी भी एक का ज्ञान अनिवार्यतःअपेक्षित होगा,दोनो का नही।केवल कुछेक उन विशेष पदों की भरती के लिये उच्चस्तरीय केवल हिन्दी अथवा उच्च स्तरीय केवल अंग्रेजी अथवा दोनो का उच्च स्तरीय ज्ञान अपेक्षित होगा।साफ सी बात है कि यह संकल्प अंग्रेजी के 10 वीं स्तर के सामान्य स्तर के ज्ञान की परीक्षा के विस्द्ध है।
महोदय,मुख्य परीक्षा में 10 वीं स्तर के अंग्रेजी के सामान्य ज्ञान की अर्हता परीक्षा लेने और अंग्रेजी का 22.5 अंक का प्रश्न पत्र का नियम बनाने वाले अधिकारियों ने न केवल संसदीय संकल्प के विरूद्ध काम किया है, बल्कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 351‘‘हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना संघ का कत्र्तव्य होगा’’और अनुच्छेद 344 अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी को प्रतिष्ठापित करने और अंग्रेजी के प्रयोग पर बन्धन लगाने का भी खुल्लम-खुल्ला विरोध किया है। निश्चय ही हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग की नयी परीक्षा प्रणाली सी-सेट बनाने वाले अधिकारियों नें भारतीय संविधान,संसद और संसदीय संकल्प के विरुद्ध काम किया है।निश्चय ही इन अधिकारियों का यह कदम भारत सरकार के विरुद्ध है। राष्ट्रपति के आदेषों की अवज्ञा देश के विरूद्ध एक राजद्रोह का मामला है।किन्तु इन नये असंवैधानिक नियमों को बनाकर जन भावनाओं को भडकाकर दंगा और बलवा कराने वाले कपिल सिब्बल,सोनिया गांधी,डी पी अग्रवाल,और अतिरिक्त सचिव आर के गुप्ता भारत सरकार के विरूद्ध काम करने के मुख्य अपराधी है।’’
महोदया,यह खुशी की बात है कि संघ लोक सेवा आयोग और कार्मिक एवम् लोक शिकायत मंत्रालय ने 18 जनवरी 1968 के संसदीय संकल्प को ठीक प्रकार से समझकर हिन्दी माध्यम के छात्रों से सामान्य स्तर के अंग्रेजी के ज्ञान के असंवैधानिक प्रश्नपत्र को सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा से समाप्त किया।
महोदया, अब जब कि सरकार ने इस मामले में पहल कर दी है। इसलिये यह आपका कत्र्तव्य है कि आप सिविल सेवा मुख्य परीक्षा से 150 अंक के अंग्रेजी के 10 वी स्तर के असंवैधानिक प्रश्न पत्र को पूर्णरूप से निरस्त करें।
इसी के साथ आपसे अनुरोघ है कि आप अपनी सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी सहित अपनी सभी भरती परीक्षाओं से अंग्रेजी के 10 वी स्तर के असंवैधानिक प्रश्न पत्र को पूर्णरूप से निरस्त करें।इसी के साथ आप अपनी केवल अंग्रेजी में बनायी गयी असंवैधानिक रबड की मोहरों, वर्दी के बिल्लो को तुडवा दें।कहने की बात यह है कि आप यह सुनिचित करें कि आपके जैसा सम्मानित व्यक्तित्व राष्ट्रपति जी द्वारा जारी राजभाषा नियमों की किसी भी प्रेकार से अवज्ञा न करे।
इस मामले में कृत कार्यवाही से हमें भी अवगत कराने की कृपा करें।
सधन्यवाद! भवदीय
मुकेश जैन, महामंत्री
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच